#Dehradun और उत्तरकाशी में भारी बारिश से नदियाँ उफान पर, कई पशुधन बह गए और घर क्षतिग्रस्त हुए। मुख्यमंत्री ने 98 प्रभावित परिवारों को ₹5 लाख की राहत राशि देने का ऐलान किया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
देहरादून–उत्तरकाशी: अचानक आई बारिश और तबाही की कहानी
उत्तराखंड के देहरादून और उत्तरकाशी जिलों में 10–11 अगस्त 2025 को हुई भारी बारिश ने हालात को बुरी तरह बदल दिया। कुछ ही घंटों में Suswa, Bindal और Respana नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बहने लगीं। तेज बहाव में कई पशुधन और घर बह गए, जबकि खेतों में लगी फसलें भी पानी में डूब गईं।
स्थानीय लोग बताते हैं कि बारिश की तीव्रता इतनी थी कि लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागना पड़ा। बाढ़ का पानी तेजी से गलियों और खेतों में भर गया, जिससे जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
पशुधन और किसानों का भारी नुकसान
सबसे बड़ी मार किसानों और पशुपालकों पर पड़ी। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई गाय-भैंस, बकरियाँ और अन्य पालतू जानवर तेज बहाव में बह गए। यह नुकसान सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि भावनात्मक भी है, क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों में पशुधन रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा है।
मुख्यमंत्री की राहत घोषणा
मुख्यमंत्री ने आपदा के बाद तुरंत राहत पैकेज का ऐलान किया। उत्तरकाशी जिले के 98 आपदाग्रस्त परिवारों को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया गया। यह राशि प्रभावित परिवारों को पुनर्वास और अपने जीवन को दोबारा शुरू करने में मदद करेगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार हर प्रभावित परिवार तक राहत पहुंचाने के लिए पूरी कोशिश करेगी और भविष्य में इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए योजनाएँ मजबूत की जाएंगी।
रेस्क्यू ऑपरेशन और प्रशासन की भूमिका
बारिश रुकने के बाद SDRF, NDRF, और स्थानीय पुलिस की टीमों ने राहत और बचाव कार्य शुरू किए। गाँव-गाँव में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला गया और अस्थायी राहत शिविर बनाए गए। कई जगहों पर स्थानीय लोग भी खुदसे मिलकर रेस्क्यू में मदद कर रहे थे।
सोशल मीडिया और जनभावनाएँ
इस त्रासदी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गए। #UttarakhandFlood और #DehradunRain जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। एक तरफ लोग प्रशासन के त्वरित कदमों की तारीफ़ कर रहे थे, तो दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन और अव्यवस्थित निर्माण कार्यों को लेकर चिंता भी व्यक्त कर रहे थे।
भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पहाड़ी राज्यों के लिए बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाएँ कितनी गंभीर हो सकती हैं।
- बेहतर मौसम पूर्वानुमान
- नदी तटों पर अतिक्रमण रोकना
- पक्के राहत केंद्र बनाना
- आपदा प्रबंधन टीमों को और सशक्त बनाना
ये कदम भविष्य में नुकसान को कम कर सकते हैं।
देहरादून–उत्तरकाशी की यह त्रासदी हमें याद दिलाती है कि प्रकृति के आगे हम सब छोटे हैं। लेकिन इंसानियत और मदद की भावना के जरिए हम सबसे मुश्किल हालात में भी उम्मीद की किरण ढूंढ सकते हैं। राहत राशि, रेस्क्यू ऑपरेशन और लोगों की एकजुटता ने साबित किया कि कठिन समय में हम साथ खड़े रह सकते हैं।